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Sri Sri 108 Gurudev Laldas Jeevangatha
Colored Book
Book By Raam Goutam
Details :
ISBN - 9789391078447
Publisher - Authors Tree Publishing
Pages - 124, Language - Hindi
Price - 299/- (Paperback), 149/- (ebook)
Category - No-Fiction/Regional Book
Delivery Time - 6 to 9 working days
Paperback eBook
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भारत के कई प्रान्तों में गुरुजी के अनेकों शिष्य हैं। कुछ शिष्य इस ‘सर्वगुण सम्पन्न संसार’ से विदा ले चुके हैं! अतः जिन जीवित या मृत शिष्यों की जानकारी मुझे नहीं है, या मुझ तक नहीं पहुँच सकी है, एवम् जिनका उल्लेख इस पुस्तक में नहीं हो सका है; उनसे या उनके परिवारिक सदस्यों से मैं सविनय-क्षमा चाहता हूँ।
हालाँकि गुरुजी की ‘जीवनगाथा’ लेखन आरम्भ करने के साथ ही, अर्थात् गुरुपूर्णिमा, रविवार, 5 जुलाई, 2020, के बाद से ही मैंने समस्त उन शिष्यों से, जिनकी मुझे जानकारी है, निवेदन किया है कि गुरुजी या उनके अन्य शिष्यों से संबंधित जितनी भी जानकारी जिनके पास हो, कृपया मुझे उपलब्ध कराएँ; ताकि मैं पुस्तक मैं उनका भी उल्लेख कर सकूँ। ‘जीवनगाथा’ में जो बातें लिखी गई हैं, लेखक ने प्रत्यक्ष देखी अथवा गुरुजी की वाणी से सुनी हैं। कुछ बातें गुरुजी के प्रिय शिष्यों ने भी मुझे यानि लेखक को बताईं, जिन्हें यथावत् सत्य मानकर लिखा है। उल्लेख की गई बातों में किसी भी तरह की कोई त्रुटियाँ या असत्यता किन्हीं व्यक्ति-विशेष को प्रतीत होती है, तो मैं उनसे भी क्षमा-प्रार्थी हूँ।
गुरुजी की जीवनगाथा लिखने के पीछे मेरा मूल उद्देश्य यही है कि महाराज जी जैसे, दिखावा न करनेवाले, निर्मल-स्वभाव, पाखण्ड से दूर रहनेवाले संत इस धरती पर कभी-कभार ही जन्म लेते हैं। उन्होंने जो त्याग, तपस्या, बलिदान और अपने भौतिक सुखों की आहुति इस कलिकाल में दी थी, वैसा कर पाना एक सामान्य मनुष्य के लिए असम्भव ही है।
गुलवारा के गौतम-परिवार में जन्मे महाराज जी हमारी व आगामी पीढ़ियों की स्मृतियों में सदैव बने रहें, इसीलिए यह पुस्तक लिखी गई है। कहते हैं, जिस कुल, परिवार या समाज में कोई व्यक्ति सर्वस्व त्यागकर संत हो जाता है, उस कुल, परिवार या समाज की वर्तमान पीढ़ी, आनेवाली सात पीढ़ियाँ और पिछली सात पीढ़ियाँ ‘मोक्ष’ को प्राप्त करती हैं।
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